घड़ी से गिरते एक वक्त में मैंने कैद कर लिया तुम्हारा अक्स, ठीक उसी रोज़ जब अमीबा ने किया था पहला द्विगुणन और विकास क्रम में बनी थी पहली पादप कोशिका .............. उसी रोज़ मैंने टांग दिया था तुम्हारा अक्स मेरी खिड़की से झाँकते क्षितिज पर, अब जब भी रात होती है तुम्हारा अक्स चमक उठता है, तुम्हारे प्रकाश से प्रकाशित मेरे कक्ष के एक कोने में मैं अब भी तुम पर कहानियां गढ़ता हूँ, सुनो कि तुम अब भी मेरी कहानियो में जिन्दा हो ।। ...