300x250 AD TOP

Followers

Blog Archive

Popular Posts

Featured slider

Friday, 20 March 2015

Tagged under:

SUCCESSFUL CULTIVATION OF KING OYSTER MUSHROOM IN FAIZABAD (U.P.), INDIA

King oyster mushroom belongs to order Agaricales of Class Basidiomycetes. It is native to Mediterranean regions of Europe, the Middle East and North Africa. It is also known as French horn, Trumpet Royale, King Trumpet mushroom, King brown mushroom and Kabul Dhingri. Its scientific name is Pleurotus eryngii. This mushroom was originally cultivated in Northern Italy and Switzerland where it is known locally as Cardoncello. Its cultivation on industrial scale began in Japan in 1995. In recent years, it has been commercially cultivated in many parts of the world like China, Australia, South Africa, South Korea and United States. It is considered as the best one of all Pleurotus species due to its excellent culinary properties and longest  shelf life than any other oyster mushroom. It has a pleasant aroma of almond and taste of Abalone. 
King Oyster mushroom in Faizabad

This mushroom has been successfully cultivated in District Faizabad(U.P.)during January 2015 - March 2015. Wheat straw was used as a substrate for growing this mushroom. It was washed in fresh water and then pasteurized in the solution of Formaldehyde (500ppm) and Bavistin (75ppm)for 18 hours. At the following day, it was spread over clean and inclined cemented floor to drain off excess water.Plastic bag technology was used in this experiment.
The beds were prepared from pasteurized substrate by multilayered (3) spawning. The mouth of bag tightened with fibre thread. The beds were then incubated in cultivation room under natural condition. When mycelia had completely covered the beds, the mouth of bags were opened and relative humidity was maintained between 85-95% with the help of humidifier.  
Harvested King oyster Mushroom

The mushrooms appear about 15-20 days after spawning. It produces almost 100% of fresh mushroom on dry weight basis of substrate.
This news has been published in various news papers.

 
जनमोर्चा (अप्रैल 08, 2015)



 
अवध कमेन्ट वीक (अप्रैल 08, 2015)
अमर उजाला (अप्रैल 19, 2015)

Tuesday, 17 March 2015

Tagged under:

अयोध्या मे मशरूम उत्पादन इकाई शुरू




अक्सर देखा गया है कि उचित खानपान के बावजूद लोगों खासतौर पर महिलाओं एवं बच्चों मे प्रोटीन और खनिज लवणों के संदर्भ मे कुपोषण पाया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश मे हाल के वर्षों मे यह एक गंभीर समस्या बन कर उभरा है। कुपोषण के मामले मे यह राज्य केवल बिहार, आंध्र प्रदेश और दमन दीव से ही पीछे है। मशरूम स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त सुपाच्य खाद्य हैं जो कुपोषण से निपटने के लिए अच्छे विकल्प साबित हुए हैं। यह कवक समूह की एक सरल किस्म की वनस्पति है, जिनके फलनकाय को खाने के लिए उपयोग किया जाता है। ये फलनकाय अलग अलग जातियों मे भिन्न भिन्न रूप व रचना वाले होते हैं । बटन मशरूम मे यह गोल, पुवाल मशरूम मे अंडाकार तथा ढींगरी मशरूम मे चपटे व फैले होते हैं। पौष्टिकता की दृष्टि से इन्हे शाकाहार एवं मांसाहार भोजन के बीच रखा जाता है। इनमे उच्च कोटि की प्रोटीन पायी जाती है जिसकी पाचन शक्ति 60-97 प्रतिशत तक होती है। मशरूम की प्रोटीन मे शरीर के लिए आवश्यक सभी अमीनो अम्ल जैसे मेथियोनीन, ल्यूसीन,आइसोल्यूसिन, लाइसीन, थाइमीन, ट्रिपटोफैन, वैलीन, हिस्टीडीन और आर्जिनिन आदि की प्राप्ति हो जाती है जो शाकाहारी भोजन मे प्रचुर मात्रा मे नहीं पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त मरूम मे उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी प्रमुख खनिज लवण (पोटैशियम, फास्फोरस, सल्फर, कैल्शियम, लोहा, तांबा, आयोडीन, सेलेनियम और जिंक) एवं विटामिन (थायमीन, राइबोफ्लेविन, नियासीन, बायोटिन, एस्कोर्बिक एसिड, पैंटोथेनीक एसिड ) प्रचुर मात्रा मे पाये जाते हैं। मशरूम मे विटामिन डी का पाया जाना इन्हे विटामिन डी का एकमात्र शाकाहारी स्रोत बनाता है, जब कि कॉलेस्ट्रोल एवं स्टार्च की अनुपस्थिति इन्हे क्रमशः हृदय और मधुमेह रोगियों के लिए सर्वथा उपयुक्त खाद्य बनाती हैं। मशरूम की लगभग 2000 खाद्य प्रजातियों मे से कोई एक दर्जन प्रजातियों की व्यावसायिक  खेती दुनियाँ भर मे की जा रही है। भारत के मैदानी भागों मे मुख्य रूप से तीन मशरूम प्रजातियों की खेती व्यावसायिक एवं व्यावहारिक स्तर पर की जाती है। जिनमे श्वेत बटन मशरूम की खेती नवंबर माह से फरवरी तथा पुवाल मशरूम की खेती जून माह से सितंबर तक होती है जब कि ढींगरी मशरूम की प्रजातियों के तापक्रम अर्हता मे अंतर होने के कारण इनका उत्पादन काल विस्तृत होता है जिन्हे शीत ऋतु एवं वर्षा ऋतु मे आसानी से उगाया जा सकता है। मशरूम के इन्हीं गुणों को ध्यान मे रखते हुए भगवान श्री राम की जन्मभूमि के रूप मे विख्यात अयोध्या जी  मे श्री प्यारे लाल एग्रो प्रोडक्टस के बैनर तले मशरूम का उत्पादन प्रारम्भ किया गया है। विभिन्न समाचार पत्रों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। 

फर्म की प्रबन्धक श्रीमती उषा कनौजिया ने बताया कि अयोध्या स्थित मशरूम इकाई मे अभी केवल ढींगरी मशरूम का उत्पादन शुरू किया गया है परन्तु निकट भविष्य मे बटन मशरूम के साथ साथ शिताके, बूना शिमजी, पुवाल व मिल्की मशरूम के उत्पादन की भी योजना है।