समय में यात्रा करना हमेशा से ही मानव की अभिलाषा रही है। पर क्या आप जानते है कि तारों और ग्रहों को देखने हेतु काम आने वाला दूरदर्शी एक ऐसा प्रकाशिक यन्त्र है जो हमारी इस अभिलाषा को पूरी कर सकता है। दूरदर्शी उन खगोलीय पिंडों को देखने के काम आता है जिन्हें नंगी आँखों से देखना संभव नहीं होता। मानो , इसके द्वारा जब हम कोई 100 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर की आकाशगंगा को देखते हैं तो वास्तव में हम उस आकाशगंगा को उसके 100 करोड़ वर्ष पूर्व के रूप में देखते हैं जब उस आकाशगंगा से वह प्रकाश निकला था। उस समय हम मानवों का इस पृथ्वी पर अस्तित्व भी न था। दूरस्थ आकाशगंगाओं के अध्ययन द्वारा, हम उनके उस रूप को देख सकते है जब ब्रम्हाण्ड युवा था और आकाशगंगाओं का निर्माण हो रहा था। इस प्रकार दूरदर्शी हमें समय में पीछे की यात्रा कराता है।
मेरे द्वारा बनाया गया दूरदर्शी एक अपवर्तक दूरदर्शी है (चित्र.1.)। जिसे आसानी से घर में बनाया और समायोजित किया जा सकता है। इस दूरदर्शी के दो प्रमुख अंग होते है -
1) ऑब्जेक्टिव लेंस
2) आई पीस
ये दोनों धातु या प्लास्टिक के बने खोखले पाइप के दो विभिन्न सिरों पर व्यवस्थित होते हैं। इस समायोजन को चित्र 2 के द्वारा समझा जा सकता है। किसी दूरदर्शी की मूलभूत रचना जैसे उसकी लम्बाई,व्यास इत्यादि इन्हीं पर निर्भर करते हैं। एक शक्तिशाली अपवर्तक दूरदर्शी बनाने के लिए निम्न बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं-
1) ऑब्जेक्टिव लेंस का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की वह बड़ी फोकल क्षमता का हो ताकि वह किसी वस्तु का बड़े से बड़ा प्रतिबिम्ब बना सके। हंलाकि, बाजार में बड़ी फोकल क्षमता वाले ऑब्जेक्टिव लेंस की खोज करना एक दुष्कर कार्य जरूर है। ऐसे में धनात्मक क्षमता वाले चश्मे के लेंस (+0.50 अथवा +0.25) एक अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
2) बड़ी फोकल क्षमता के साथ ही ऑब्जेक्टिव लेंस का व्यास भी अधिक होना चाहिए ताकि उससे होकर अधिक से अधिक प्रकाश गुजरे और चमकीला प्रतिबिम्ब प्राप्त हो सके।
चित्र 2. दूरदर्शी का समायोजन |
3) आई पीस की फोकल क्षमता एवं व्यास दोनों ही कम होने चाहिए। आई पीस का कार्य ऑब्जेक्टिव लेंस के द्वारा बने प्रतिबिम्ब को आवर्धित करके प्रकाश आँखों तक पहुचना है । इसके लिए 5X , 10X तथा 15X पावर की आई पीस उपयोग में लायी जा सकती हैं जो बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
तो देर किस बात की। आइये जल्दी से जल्दी अपना दूरदर्शी तैयार करके भूतकाल में सैर करें।
- सिद्धान्त
अक्टूबर 28, 2012
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