यहोवा ने यद्यपि आदम और ईव ही रचे थे, पर एक रोज आँख बचाकर आदम ने वेश्याएं गढ़ दीं, क्रोधित यहोवा कुछ न कर सके आदम ने रोजी के सवाल जो रख दिए बेफिक्र आदम मोल -भाव करता रहा.……. वेश्याएं बेचता रहा। यूँ तो, कस्बों की औरतों को पता था सब कुछ, पर ज्यादातर समय वे चुप ही रहीं, स्वार्थी औरतें जानती थीं कि वेश्याओं की माँघ नहीं होती, इसलिए उनके कस्बाई घर सलामत रहे। एक रोज़ वेश्याओं के बाल सिन्दूरी हो गए, एक रोज़ उनके भारी पैर लोगों को चुभ गए, एक रोज़ वो जानने लगीं आदम...
Friday, 19 July 2013
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नमक (भाग-2)
बोलीविया के आगे का सच बस इतना ही था, कि तुम बादल बन बरसते रहे......... और मेरा नमक तुममे घुलता रहा। मेरी बहुत खारी झील में, हमारे प्रेम के सिवा, फिर कुछ न पनपा॥ - सिद्धांत जुलाई 19, 2013 ...
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