बोलीविया के
आगे का सच
बस इतना ही था,
कि तुम बादल बन
बरसते रहे.........
और मेरा नमक
तुममे घुलता रहा।
मेरी बहुत खारी
झील में,
हमारे प्रेम के सिवा,
फिर कुछ न पनपा॥
- सिद्धांत
जुलाई 19, 2013
रात्रि 11:07
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