गन्ने से अधिक से अधिक मात्रा मे चीनी प्राप्त करने के लिए गन्ना वैज्ञानिकों द्वारा अनवरत प्रयास किये जा रहे हैं। कटाई के उपरान्त, कटाई तथा पेराइ के मध्य के अन्तराल (स्टेलिंग) के कारण गन्ने की गुणवत्ता मे कमी आती है जो शर्करा के इंवर्जन के फलस्वरूप होती है। अतः स्टेलिंग के कारण चीनी परता मे होने वाली हानि से बचने के लिए गन्ने की जल्दी से जल्दी पेराई कर लेनी चाहिए। इस प्रकार की हानि से चीनी उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि स्टेलिंग से 0.1 यूनिट चीनी कम बनती है तो (रु० 2000/- प्रति कुंतल चीनी की दर से) प्रतिदिन 50,000 रुपये का घाटा होता है। इस हानि को कम करने की दिशा मे, कुछ रसायनों जैसे- मरक्यूरिक क्लोराइड, सैलिसिलिक एसिड, जिंक सल्फेट, अमोनियम बाइफ्लोराइड तथा सोडियम एजाइड के एक प्रतिशत घोल का छिड़काव 5 गन्ना प्रजातियों (को०शा० 8432, को०शा० 8436, को०से० 92423, को० शा० 95255 तथा को० शा० 96268) पर किया गया। परिणाम बताते हैं कि उपरोक्त सभी रसायन चीनी परता मे हानि को कम करने मे प्रभावी सिद्ध हुए हैं। यद्यपि आपस मे उनके स्तर मे विभिन्नता रही।
Cite this as: आर० पी० श्रीवास्तव, सिद्धान्त एवं एम०एल० शर्मा (2009): बासी गन्ने मे शर्करा क्षरण को कम करने मे उपयोगी रसायनों पर अध्ययन। राष्ट्रभाषा हिन्दी मे ग्यारहवीं कृषि विज्ञान संगोष्ठी " सतरंगी क्रांति हेतु कृषि एवं पशुपालन की समेकित प्रणाली: अनुसंधान, उपलब्धियां एवं रणनीति"। 13-15 अप्रैल, 2009 पेज 75 (सारांश)
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