वो,
शब्दों से खेलता है,
चाशनी में लिपटे
उसके शब्द
तुम्हें आकर्षित करते हैं,
और तुम
चीटियों के माफिक
खींचे चले आते हो,
वह सम्मोहन करता है
तुम सम्मोहित हो जाते हो,
और कुछ इस तरह
वह सत्ता पर
काबिज हो जाता है ।
विश्वास है मुझे,
एक रोज
जब उसका सम्मोहन कम होगा
वह चाशनी में लिपटे
कुछ और शब्द
फेंक देगा,
तुम फिर
चीटियों के माफिक
खींचे चले आओगे।
- सिद्धान्त
22 सितंबर, 2017
7 :55 पी. एम.
are bhai is kavita ko age bhi poori karo.......................sushil
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