मैं
बोलीविया की
एक झील था,
झील में घुला
नमक
मेरे शब्द थे,
तुम पानी थे
जो उड़ गया.......
अब मेरे अंदर का
नमक
मीलों तक
पसरा है,
मेरी कवितायें
मेरे नमक का
हक़ अदा कर
रही हैं॥
- सिद्धान्त
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