कहानियों में सब जायज है, कहानियों में जायज़ हैं कर्ज में डूबते किसान, और यह भी कि एक रोज दिल्ली सिंहासन के विरुद्ध कर दे वो किसान क्रान्ति, कहानियों में जायज़ है कि कायम हो अँधेरा ..... कहानियों में जायज़ है कि एक दिन भ्रष्टाचार के विरोध में मैं अपने कमरे में फंदे से लटक जाऊँ..... कहानियों में सब जायज है।। - सिद्धान्त नवम्बर २८, २०१७ रात्रि ८:०० बजे ...
Sunday, 26 November 2017
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दीन और ईश्वर
कुछ इन्साफ पसन्द लोगों ने कल रात उसे सूली पर टाँग दिया। सुना है, वो बदचलन इंसान था, उसे यकीन था तुम्हारे दीन और ईश्वर दोनों एक ही है। अब ये अल्लाह और भगवान वाले ही तय करें कि उसे जलाया जाये या दफनाया जाये........ मेरे मुल्क में अब ये आम बात है।। - सिद्धान्त नवम्बर २६, २०१७ रात्रि ८:३० ...
Saturday, 11 November 2017
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मृत्यु
घड़ी की सुईयों के साथ, मैं बढ़ चला हूँ, मृत्यु की ओर, मृत्यु जैसे ठहरा हुआ समुद्र, मृत्यु जैसे ठण्डी बर्फ.............. एक रोज मृत्यु में झाँककर, पढूंगा मैं अपनी आत्मकथा .... पाप और पुण्य से परे, मैं देखूंगा मृत्यु के उस पार जीवन विन्यास .... - सिद्धान्त नवंबर १२, २०१७ रात्रि ०१:१७ ...
Friday, 3 November 2017
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तुम्हारी तस्वीर
एक रोज मेरी सारी कवितायेँ पंख लगा उड़ गई, बच गया तो कागज का कोरापन, देर रात, मैंने उस कोरेपन पर तुम्हारी तस्वीर उकेरी है, सुबह जब रंग पनपेंगे, एक मुठ्ठी रंग मैं, तुम्हारी तस्वीर पर डाल दूंगा। अब जब जब तुम्हारी याद आयेगी, मैं तुम्हारी यही तस्वीर निहारूँगा, सुनो कि मेरे मन के किसी कोने में, तुम अब भी बाकी हो...... - सिद्धांत अक्टूबर ३०,२०१७ ४:१३ पी. एम. ...
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