कहानियों में
सब जायज है,
कहानियों में
जायज़ हैं
कर्ज में डूबते
किसान,
और यह भी
कि एक रोज
दिल्ली सिंहासन के
विरुद्ध
कर दे वो
किसान क्रान्ति,
कहानियों में
जायज़ है
कि कायम हो
अँधेरा .....
कहानियों में
जायज़ है
कि एक दिन
भ्रष्टाचार के
विरोध में
मैं अपने कमरे में
फंदे से लटक जाऊँ.....
कहानियों में
सब जायज है।।
- सिद्धान्त
नवम्बर २८, २०१७
रात्रि ८:०० बजे