घड़ी की सुईयों
के साथ,
मैं बढ़
चला हूँ,
मृत्यु की ओर,
मृत्यु जैसे
ठहरा हुआ समुद्र,
मृत्यु जैसे
ठण्डी बर्फ..............
एक रोज
मृत्यु में झाँककर,
पढूंगा मैं
अपनी आत्मकथा ....
पाप और पुण्य
से परे,
मैं देखूंगा
मृत्यु के उस पार
जीवन विन्यास ....
- सिद्धान्त
नवंबर १२, २०१७
रात्रि ०१:१७
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