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Saturday, 8 June 2019

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अयोध्या में दूधिया मशरूम का हो रहा सफलतापूर्वक उत्पादन


दूधिया मशरूम का सफलतापूर्वक उत्पादन अयोध्या स्थित मशरूम इकाई मे किया गया। मशरूम विज्ञानी डॉ. सिद्धान्त ने बताया कि आज भी उत्तरी भारत के मौसमी मशरूम उत्पादक केवल श्वेत बटन मशरूम पर ही निर्भर है। शरद ऋतु मे श्वेत बटन मशरूम की एक फसल लेने के बाद वे अपना उत्पादन कार्य बंद कर देते है। तापमान में वृद्धि के कारण वर्ष भर मशरूम उत्पादन कार्य नहीं हो पता है जिससे बाजार मे ताजे मशरूम की उपलब्धता संभव नहीं हो पाती है। ऐसे मे मैदानी भागो मे जहां कुछ महीनों के लिए तापमान 20-40 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच रहता है, मशरूम उत्पादकों के लिए दूधिया मशरूम एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। दूधिया मशरूम का वैज्ञानिक नाम कैलोसाइब इंडिका है जो आकार व रूप में श्वेत बटन मशरूम से मिलता जुलता है। श्वेत बटन मशरूम की अपेक्षा दूधिया मशरूम का तना अधिक मांसल, लंबा  व आधार काफी मोटा होता है। इसकी कैप बहुत ही छोटी तथा जल्दी खुलने वाली होती है।
दूधिया मशरूम की खेती के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। कवक जाल फैलाव के लिए 25-35° सेल्सियस जब कि केसिंग परत बिछाने से लेकर फसल लेने तक  30-35° सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। अधिक तापमान (30-40 ° सेल्सियस ) होने पर भी यह मशरूम पैदावार देता है।
ढींगरी मशरूम की भांति इस मशरूम को भी विभिन्न कृषि फसलों से प्राप्त अवशेषों (भूसा, पुवाल इत्यादि) पर आसानी से उगाया जा सकता है। जिसे सूक्ष्मजीवों से मुक्त कराने एवं मशरूम की अच्छी उपज हेतु गरम पानी अथवा रासायनिक विधि द्वारा उपचारित करना जरूरी होता है। 
एक बार उपचारित करने के बाद गीले भूसे में 4-5 प्रतिशत की दर से बीजाई की जाती है। तदुपरान्त बीजाई किए गए बैगों को अंधेरे कमरे में लगभग 15-20 दिनों तक रख दिया जाता है। इस दौरान कमरे का तापमान कर 25-35° सेल्सियस तथा नमी 80-90 प्रतिशत होनी चाहिए। 
इन 15-20 दिनों मे मशरूम के बीज भूसे मे फैल जाते हैं जिससे भूसे पर सफ़ेद फफूंद दिखाई देती है। इस अवस्था मे मशरूम के बैग केसिंग के लिए उपयुक्त समझे जाते हैं। केसिंग के बाद कमरे का तापमान 30-35° सेल्सियस तथा नमी 80-90 प्रतिशत रखनी चाहिए। लगभग10-12 दिनों में कवकजाल केसिंग मिश्रण में फैल जाता है। जिसके बाद बैगों पर प्रतिदिन पानी का छिडकाव किया जाता है एवं कमरे में ताजी हवा दी जाती है। इस समय कमरे का तापमान 30-35° सेल्सियस व नमी 80-90 प्रतिशत रखी जाती है जिससे लगभग 3-5 दिनों में मशरूम कलिकाएँ निकलना प्रारम्भ हो जाती है जो लगभग एक सप्ताह में वयस्क मशरूम का रूप ले लती हैं।
नवजात दूधिया मशरूम

मशरूम बैग में दूधिया मशरूम
कटाई के तैयार मशरूम
दूधिया मशरूम की टिकाऊ क्षमता भी बटन मशरूम की अपेक्षा अधिक होती है। जहां तक पैदावार क्षमता का सवाल है तो ढींगरी मशरूम की तरह यह मशरूम भी अच्छी पैदावार देता है। इसकी उत्पादकता 100 प्रतिशत के करीब होती है। यानि 1 किलो सूखे भूसे से 1 किलो तक ताजा मशरूम प्राप्त की जा सकती है। मांग कम होने पर इस मशरूम की तुड़ाई तीन-चार दिन देर से करने पर भी गुणवत्ता मे कमी नहीं आती।

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