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Sunday, 18 March 2012

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ये कैसी जिद







ये कैसी जिद
कि तुमने बाँट दी
जमीन पानी
और हवा
सब कुछ
मानचित्रो में
सजने को ?
और नहीं छोड़ी
इंसानी लाशें भी
बंदरबांट
करने को !
तुम अब खुश
तो बहुत होगे,
जो तुम्हारे पाखंड
फुटपाथों पर
बिकते हैं,
और तुम्हारे
लुभावने चश्मे
मेरा दर्शन कोण
कम करते है !!
                       -सिद्धांत  (मार्च १५,२०१२ ९:३१ पी एम )
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