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Thursday, 21 June 2012

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तुम्हारी यादें







राइनोसोरस  की तरह ही ,
अब तुम्हारी यादें भी
संरक्षित हैं.............
ताख पर रखे 
एक पुराने से 
संदूक मे
कमरे का वह कोना 
आज भी
तुम्हारे ही नाम से  
आरक्षित है  ।  
उन्हीं यादों की 
लाल आंकड़े वाली 
किताब में 
दर्ज है अब भी 
मेरे कई सपने 
गीत और कुछ
अधूरी कविताये,
और वही 
सहेज रखी हैं मैंने 
तुम्हारी कांच की चूड़ियाँ 
मेहदी, टिकली, पायल,
और आँखों का काजल.....................
कई दिन हो गये 
गया नहीं वहां

                                        - सिद्धांत 
                                          जून 20, 2012  

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