तुम्हारी
यादों के पुलिंदे
और एक ख़त
मेरी टाँण पर
रखे हैं,
उसी टाँण पर
दाहिनी तरफ
तुम्हारे
कुछ मुट्ठी भर
गीत पड़े हैं,
आज जब
पानी बरसेगा
तो तुम्हारे
ख़त की नाव में
मैं वो पुलिंदे
तुम्हें भेज दूंगा।
सुनो.......
देर रात
अपनी खिड़की से
जब मैं
तुम्हारे गीत
गुनगुनाऊँ............
अपनी मुडेर पर आकर
तुम वो गीत भी
ले लेना।।
- सिद्धांत
जून ६ , २ ० १ ३
रात्रि १ .३ ०
aaj tak isse behatar maine na suna..na padha...superb sid
ReplyDeleteThanks
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