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Friday 3 November 2017

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तुम्हारी तस्वीर






एक रोज
मेरी सारी कवितायेँ
पंख लगा
उड़ गई,
बच गया तो
कागज का कोरापन,
देर रात,
मैंने उस
कोरेपन पर
तुम्हारी तस्वीर
उकेरी है,
सुबह
जब रंग पनपेंगे,
एक मुठ्ठी रंग
मैं,
तुम्हारी तस्वीर पर
डाल दूंगा।
अब जब जब
तुम्हारी याद
आयेगी,
मैं तुम्हारी
यही तस्वीर
निहारूँगा,
सुनो कि
मेरे मन के
किसी कोने में,
तुम अब भी
बाकी हो......

             - सिद्धांत
             अक्टूबर  ३०,२०१७
             ४:१३ पी. एम.

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