300x250 AD TOP

Followers

Blog Archive

Popular Posts

Featured slider

Tuesday, 7 February 2012

Tagged under:

मशीनी मानव







हारा हुआ,
थका सा,
कुछ ऐसा,
आज का मानव 
शांति को तरसता, 
अंतर्द्वंद में झूलता,
किस्मत पर रोता, 
कुछ  ऐसा,  
आज का मानव, 
मशीनी मानव I   
भावहीन, 
दयाहीन, 
पत्थरदिल, 
बेजान,  
व्यस्तता में डूबा, 
भौतिकता में फंसा, 
आत्मिक सुख से दूर,
कुछ ऐसा,
आज का मानव, 
मशीनी मानव I 
                      -सिद्धांत 

1 comments:

  1. ultimate writer i have ever seen in ma life. avery awesome poem.........!
    thanks

    ReplyDelete