जो मुझमे
संवहन बण्डल
होते
तो मैं भी
प्रेषित कर पाता
तुम तक
अपनी संवेदनाएं
जस की तस,
और बता पाता
रिक्सिया
और
मार्केन्शिया
होने का दर्द I
जो मुझमे
जो मुझमे
संवहन बण्डल
संचयित कर लेता
होते
तो मैं
तुम्हारे ताप को
खुद में
और
उस ताप से
प्रकाशित होता
कई बार I
जो मुझमे
खुद में
और
उस ताप से
प्रकाशित होता
कई बार I
जो मुझमे
संवहन बण्डल
होते
तो मैं भी.........
- सिद्धांत
- सिद्धांत
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